सुस्त नौकरानियां और मुर्गा – शिक्षाप्रद कथा
एक कंजूस महिला की यह आदत थी कि जैसे ही मुर्गे ने भोर में बांग लगाई – ‘कुंकडू-कूं’ और उसने अपनी नौकरानियों को उनके बिस्तरों से उठाना शुरू कर दिया|
एक कंजूस महिला की यह आदत थी कि जैसे ही मुर्गे ने भोर में बांग लगाई – ‘कुंकडू-कूं’ और उसने अपनी नौकरानियों को उनके बिस्तरों से उठाना शुरू कर दिया|
एक बार एक घुड़सवार किसी कस्बे से होकर गुजर रहा था| उसने हैट पहन रखा था और हैट में लगे बालों की विग उसके गंजे गंजे सिर की शोभा बढ़ा रही थी|
एक बार एक भूखा-प्यासा कौआ कहीं से उड़ता हुआ आया और एक घर की मुंडेर पर विश्राम करने के लिए बैठ गया|
एक वन में तीन विशालकाय और शक्तिशाली सांड रहते थे, जो आपस में गहरे मित्र थे| मित्रता इतनी गहरी थी कि एक अकेला सांड बिना अपने दो मित्रों के घास चरने नहीं जाता था| यही कारण था कि उनकी आपसी शक्ति तीन गुना अधिक थी| तीनों जंगल के स्वच्छंद वातावरण में घास खाकर काफी मोटे-तगड़े हो गए थे|
एक व्यक्ति जब पूरे विश्व की यात्रा कर घर वापस लौटा तो लोगों की भीड़ ने उसे घेर लिया| कई दिनों से यही सिलसिला जारी था| वह व्यक्ति अपनी यात्रा के अनुभव खूब बढ़ा-चढ़ा कर उन्हें सुनाता| चूंकि उसके कस्बे के लोग विदेश तो क्या कस्बे से बाहर भी नहीं गए थे|
किसी नगर में सड़क के किनारे एक ज्योतिषी बैठा करता था| लोगों का भविष्य बताकर वह जो धन कमाता, उसी से उसका जीवन-यापन होता था|
एक बार गांव के कुछ कुत्ते शहर से होकर गुजर रहे थे कि शहरी कुत्तों के एक झुंड ने उन पर हिंसक हमला कर दिया|
एक यात्री किसी गांव की सड़क पर जा रहा था| कड़ाके की ठंड पड़ रही थी| अचानक यात्री ने रास्ते में झाड़ियों के नीचे एक सांप सर्दी से ठिठुरा हुआ देखा| उसका पूरा शरीर ठंड से ऐंठ-सा गया था और वह करीब-करीब मरणासन्न हो रहा था|
एक बार एक विशाल बरगद के पेड़ पर हजारों पक्षी सभा करने के लिए एकत्रित हुए| विषय था – “पक्षियों की रानी कौन हो?”
प्राचीनकाल की बात है| देवताओं के राजा इंद्र ने विवाह करने की ठानी| उन्होंने सोचा कि यह विवाह इतनी आन-बान और शान से होना चाहिए कि युगों-युगों तक उसकी चर्चा होती रहे| ऐसा तभी हो सकता था, जब हर प्राणी उस शादी में शामिल होता और उसे अपनी आंखों से देखता|