तीन शब्द जन्म लिए, जीवन जीए और मर गये, इससे आगे बढ़कर जीवन का महान उद्देश्य है!
मोहम्मद साहब के 12 दिसम्बर को तथा ईशु के 25 दिसम्बर जन्म के इस पवित्र माह में हम उनकी महान आत्मा को नमन करते हैं। इन दोनों महान आत्माओं ने भारी कष्ट सहकर अपना सारा जीवन लोक कल्याण के लिए जिया। मोहम्मद साहब ने कहा था कि हे खुदा, सारी खिल्कत को बरकत दे। अर्थात हे खुदा, सारे संसार का भला कर। उन्होंने यह भी कहा था कि गरीब का पसीना सुखने के पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए। वहीं ईशु ने मानव जाति के लिए अपना बलिदान करके उनको सुली पर चढ़ाने वाले कठोर हृदय के लोगों में करूणा का सागर बहा दिया था। ईशु ने सुली चढ़ाने वालों के लिए प्रभु से उन्हें माफ कर देने की प्रार्थना की थी। हे प्रभु, ये अपराधी नहीं वरन् ये अज्ञानी है। प्रभु ने ईशु की प्रार्थना सुनकर सुली देने वालों को माफ कर दिया। वे सभी रो-रोकर कहने लगे कि हमने अपने रक्षक को ही सुली पर लटका दिया। ईशु का सन्देश है कि जो ईश्वर की राह पर ध्येयपूर्वक सहन करते हैं परमात्मा उनका इनाम बढ़ा देता है। आज संसार में सबसे अधिक लोग ईशु तथा मोहम्मद साहब को मानने वाले हैं। ईश्वर को मानव सेवा मंे जानना और मानव मात्र से प्यार करना मेरे जीवन का उद्देश्य है!