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एक साधु था| चलते-चलते वह एक शहर के पास पहुँचा तो शहर का दरवाजा बन्द हो गया| रात हो गयी थी| वह साधु दरवाजे के बाहर ही सो गया| दैवयोग से उस दिन उस शहर के राजा का शरीर शान्त हो गया था|

यह शीतल प्रकृति की पत्तेदार होती है| पाचन-क्रिया को मजबूत करने व रुचि बढ़ाने में यह सहायता प्रदान करती है| यह शरीर के रोगात्मक विषों को नष्ट करने में समक्ष है| मुख्यत: इसको शाक के रूप में प्रयोग किया जाता है| पेट के रोग तथा गंजेपन की शिकायत भी इससे दूर हो जाती है| यह गठिया, ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों को भी लाभ पहुंचती है|

किसी वन में मदोत्कट नाम का सिंह निवास करता था| व्याघ्र, कौआ और सियार ये तीन उसके नौकर थे| एक दिन उन्होंने एक ऐसे ऊंट को देखा जो अपने निरोह से भटककर उनकी ओर आ गया था| उसको देखकर सिंह कहने लगा, ‘अरे वाह, वह तो विचित्र जीव है| जाकर पता तो लगाओ कि वह वन्य प्राणी है अथवा की ग्राम्य प्राणी|’