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राजा विराट के पुत्र का नाम उत्तर था| वह स्वभाव से बड़ा दंभी, सदा अपने पराक्रम का बखान करने वाला था| पांडव अपने अज्ञातवास का समय विराट के यहां व्यतीत कर रहे थे, इसलिए कोई भी इस भय से कि कहीं उनके सही रूप का पता न चल जाए, उसकी बात कोई नहीं काटते थे|

एक गाँव के पास एक खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था| वहीं उनके अंडे थे| अंडे बढ़े और समय पर उनसे बच्चे निकले| लेकिन बच्चों के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही खेत की फसल पक गयी| सारस बड़ी चिंता में पड़े|

फौजिया की काफी उम्र हो गई थी और वह इस दुनिया में अकेली थी| उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसे हज पर जाने की इच्छा हुई| अत: उसने अपने सभी गहने हजार मोहरों के दाम बेच दिए| ढाई सौ मोहरें उसने खर्च के लिए रखकर शेष साढ़े सात सौ मोहरों को एक थैली में अच्छी तरह से बन्द कर दिया तथा उसे लाख से सील कर दिया|