Chapter 163
Vaisampayana continued, “Dwelling in that best of mountains thosehigh-souled ones observing excellent vows, felt themselves attracted (tothat place), and diverted themselves, eager to behold Arjuna.
Vaisampayana continued, “Dwelling in that best of mountains thosehigh-souled ones observing excellent vows, felt themselves attracted (tothat place), and diverted themselves, eager to behold Arjuna.
महाराज एकनाथ महाराष्ट्र के एक महान् संत थे| वे गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन एक ग्रहस्थ संत थे; मराठी साहित्य का उन्हें प्राण कहा जाता था| उन्होंने ‘भागवत् एकादश स्कंध,- ‘भावार्थ रामायण,- ‘आनन्द लहरी- आदि अनेक ग्रंथ लिखे थे| एक बार रातभर जागते रहे| रात्रि का तीसरा पहर हो गया, तब भी एकनाथ अपने हिसाब में एक पाई की भूल खोज रहे थे| अंत में वह परेशान हो उठे|
“Vaisampayana said, ‘They then set out, with cheerful hearts, andaccompanied by men and animals all of whom and which were equallycheerful.
एक व्यक्ति दरबार में तोता बेचने आया| वह तोता बहुत ही अच्छी नस्ल का था और बहुत ही अच्छा बोलता भी था| अकबर को तोता पसंद आ गया और उन्होंने उसे खरीद लिया|
हनुमान चालीसा तुलसीदास की एक काव्यात्मक कृति है बहुत कम लोग जानते हैं कि हिन्दू धर्म में हनुमान जी की आराधना हेतु ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ सर्वमान्य साधन है। इसमें बजरंग बली की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है।
1 [युधिस्ठिर]
हताः पुत्राश च पौत्राश च भरातरः पितरस तथा
शवशुरा गुरवश चैव मातुलाः सपितामहाः