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शनि व्रत रखने का बहुत महत्व माना गया है| कुंडली में शनि की महादशा अथवा साढ़े साती या ढैय्या में शनि जी के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शनि व्रत का महत्व माना गया है| शनि जी के इस मंत्र – ‘ऊँ शं शनिश्चराय नम:” को कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए| शनि व्रत में शनि देव की आरती के साथ साथ दान भी जरूरी है| उड़द, तेल, तिल, नीलम रत्न, काली गाय, भैंस, काला कम्बल या कपड़ा, लोहा या इससे बनी वस्तुएं और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

दूसरों का हक हमारे पास न आये-इस विषय में मनुष्य को खूब सावधान रहना है| अपनी खरी कमाई का अन्न खाओगे तो अन्तःकरण निर्मल होगा और अगर चोरी का ठगी-धोखेबाजी का, अन्याय का अन्न खाओगे तो अन्तःकरण महान अशुद्ध हो जायगा|