गुरु जी का मोदीखाने की नौकरी करना – साखी श्री गुरु नानक देव जी
महिता कालू जी ने श्री गुरु नानक देव जी को बहन नानकी व जीजा जै राम के पास भेज दिया| परन्तु वहां आप बेकार बैठे आनन्द लेते रहे|
महिता कालू जी ने श्री गुरु नानक देव जी को बहन नानकी व जीजा जै राम के पास भेज दिया| परन्तु वहां आप बेकार बैठे आनन्द लेते रहे|
श्री गुरु नानक देव जी मोदी खाने को बड़ी उदारता के साथ चला रहे थे| अधिकारियों ने नवाब को चुगली कर दी कि गुरु जी बड़ी लापरवाही व बेपरवाही के साथ मोदी खाना लुटा रहे है, जिसकी वजह से मोदी खाना खाली हो जाएगा|
गुरु जी को खुल्ले हाथों से मोदी खाने की नौकरी करते देख चुगलखोरो ने नवाब को जाकर फिर शिकायत कर दी कि अब तो गुरु जी पहले से भी दुगना – चौगुना मोदीखाना लुटाए जा रहे हैं|
गुरु जी नित्य की मर्यादा के अनुसार नदी में स्नान करने गए तो अपने वस्त्र सेवादार को पकड़ा कर नदी में गोते लगाने लगे| वे इस तरह अलोप हुए कि बाहर न आए| सेवादारों ने यह बात नवाब व जीजा जै राम को बताई| उन्होंने गुरु जी को ढूंढने की पूरी कोशिश की, जाल भी डलवाए, परन्तु आप का पता न चला|
गुरु नानक देव जी जब 5 वर्ष के हुए तो उन्होंने बच्चों के साथ खेलना शुरू कर दिया| गुरु जी सभी बालकों को इतना प्यार करते थे कि उन्हें खाने व खेलने की वस्तुएँ घर से लाकर बाँट देते|
बाबा कालू जी ने शुभ दिन वार पूछ कर आपको नए वस्त्र पहना कर पांधे के पास भेज दिया| आप उनके लिए कुछ नकदी व मिष्ठान भी साथ लेकर गए|
पांधे गोपाल से पढ़ाई करके बाबा कालू ने आपको फारसी पढ़ने के लिए मुल्ला घुतवदीन के पास भेज दिया| मिष्ठान व कुछ नकदी समान भेंटा के रूप में आप साथ ले गए|
महिता कालू जी ने वंश की रीति अनुसार 11 साल के होते ही आपको जनेयु पहनाने के लिए दिन निश्चित करके पुरोहित हरदियाल के पास भेज दिया|
गुरु जी को संस्कृत विद्या हासिल करने के लिए पंडित बृज लाल की पाठशाला में भेज दिया गया|
एक बहुत धनी सेठ था| वह सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करके घर आकर नित्य-नियम करता था| ऐसे वह रोजाना नहाने नदी पर आता था| एक बार एक अच्छे संत विचरते हुए वहाँ घाट पर आ गये| उन्होंने कहा-‘सेठ! राम-राम!’ वह बोला नहीं तो बोले-‘सेठ! राम-राम!’ ऐसे दो-तीन बार बोलने पर भी सेठ ‘राम-राम’ नहीं बोला| सेठ ने समझा कि कोई मांगता है|