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यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया।

किसी नगर में एक आदमी रहता था| उसने परदेश के साथ व्यापार किया| मेहनत फली, कमाई हुई और उसकी गिनती सेठों में होने लगी| महल जैसी हवेली बन गई| वैभव और बड़े परिवार के बीच उसकी जवानी बड़े आनंद से बीतने लगी|

“सुकन्या! जंगल में सतर्क रहना| तुम ऐसी चीजें देखोगी और ऐसी समस्याओं से तुम्हारा सामना होगा, जिन्हें तुमने कभी देखा न होगा|” राजा शर्याति ने राजकुमारी सुकन्या को अंतिम सीख दी| सुकन्या सहेलियों के साथ जंगल में एक स्थान पर चली गयी|