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“Sauti continued, ‘A certain Brahmana with his wife had entered thethroat of that ranger of the skies. The former began to burn the bird’sthroat like a piece of flaming charcoal. Him Garuda addressed, saying, ‘Obest of Brahmanas, come out soon from my mouth which I open for thee. ABrahmana must never be slain by me, although he may be always engaged insinful practices.’

यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है|
इस दिन गौ की पूजा करने का विधान है| साथ में भगवान लक्ष्मीनारायण जी की भी पूजा करनी चाहिए| 

किसी नगर में एक सेठ रहता था| उसके पास अपार धन था, उसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था| एक दिन एक साधु उसके दरवाजे पर भिक्षा मांगने के लिए आया| सेठ ने उसे भिक्षा दी| भिक्षा लेकर जब साधु जाने लगा तो सेठ ने उसे रोककर कहा – “महाराज, मुझे कुछ उपदेश तो देते जाइए|”