अध्याय 142
1 [स]
सहदेवम अथायान्तं दरॊण परेप्सुं विशां पते
कर्णॊ वैकर्तनॊ युद्धे वारयाम आस भारत
“Sanjaya said, ‘Then Adhiratha’s son of the Suta caste, knowing thatBhishma had been slain, became desirous of rescuing, like a brother, thyson’s army from the distress into which it had fallen, and which thenresembled a boat sunk in the fathomless ocean. [Indeed],
मथुरामें एक सुखिया नामकी मालिन थी| वह व्रजमें नित्य फल बेचनेके लिये आया करती थी| भगवान् श्रीकृष्णकी मनोहर मूर्ति उनके मन-मन्दिरमें सदा बसी रहती थी और वह भावोंके पुष्प चढ़ाकर अहर्निश उनकी पूजा करती थी|
संतोषी माता हिन्दूओं की एक अहम देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि संतोषी माता की उपासना से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए निम्न आरती का पाठ किया जाता है।
नौआखाली के दिनों की बात है| वहां गांधीजी की पद-यात्रा चल रही थी| एक दिन गांधीजी देवीपुर नामक ग्राम में पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया| ध्वज-तोरण, पताका आदि से सजावट की गई| गांधीजी ने वह सब देखा तो बड़े गंभीर हो गए, पर उस दिन मौनवार होने के कारण बोले कुछ नहीं| शाम को मौन समाप्त होने पर उन्होंने मुख्य कार्यकर्ता को बुलाकर पूछा – “आप ये चीजें कहां से लाए?”
“Vyasa said, ‘By penances, religious rites, and gifts, O Bharata, a manmay wash off his sins if he does not commit them again.
1 [धृ]
अनुक्तं यदि ते किं चिद वाचा विदुर विद्यते
तन मे शुश्रूषवे बरूहि विचित्राणि हि भाषसे