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हजरत मोहम्मद जब भी नमाज पढ़ने मस्जिद जाते तो उन्हें नित्य ही एक वृद्धा के घर के सामने से निकलना पड़ता था। वह वृद्धा अशिष्ट, कर्कश और क्रोधी स्वभाव की थी। जब भी मोहम्मद साहब उधर से निकलते, वह उन पर कूड़ा-करकट फेंक दिया करती थी। मोहम्मद साहब बगैर कुछ कहे अपने कपड़ों से कूड़ा झाड़कर आगे बढ़ जाते। प्रतिदिन की तरह जब वे एक दिन उधर से गुजरे तो उन पर कूड़ा आकर नहीं गिरा। उन्हें कुछ हैरानी हुई, किंतु वे आगे बढ़ गए।

“Saunaka said, ‘Child, thy father formerly read the whole of the Puranas,O son of Lomaharshana, and the Bharata with Krishna-Dwaipayana. Hast thoualso made them thy study? In those ancient records are chronicledinteresting stories and the history of the first generations of the wisemen, all of which we heard being rehearsed by thy sire. In the firstplace, I am desirous of hearing the history of the race of Bhrigu.Recount thou that history, we shall attentively listen to thee.”

जो लोग सिर दर्द को रोग मानते हैं, वे धोखा खा जाते हैं क्योंकि यह रोग है ही नहीं| वास्तव में यह किसी रोग का लक्षण है| यदि यह अधिक तेज नहीं होता तो बगैर किसी दवा के अपने आप ठीक हो जाता है|

प्रातःकाल होते ही अर्जुन अपने रथ पर सवार हो गए| वे पिछली रात प्रिय पुत्र अभिमन्यु को जिस प्रकार वीरगति प्राप्त हुई थी, उसे याद कर, रोते रहे थे| केवल जयद्रथ को सूर्यास्त से पूर्व मृत्युदंड देने की प्रतिज्ञा ने उन्हें जीवित रखा हुआ था|