अविमुक्त-क्षेत्र में शिवार्चन से यक्ष को गणेशत्व-प्राप्ति
प्राचीन काल में हरिकेश नाम से विख्यात एक सौन्दर्यशाली यक्ष हुआ था, जो पूर्णभद्र का पुत्र था| हरिकेश महाप्रतापी, ब्राह्मण भक्त एवं धर्मात्मा था| जन्म से ही उसकी शंकरजी में प्रगाढ़ भक्ति थी|
प्राचीन काल में हरिकेश नाम से विख्यात एक सौन्दर्यशाली यक्ष हुआ था, जो पूर्णभद्र का पुत्र था| हरिकेश महाप्रतापी, ब्राह्मण भक्त एवं धर्मात्मा था| जन्म से ही उसकी शंकरजी में प्रगाढ़ भक्ति थी|
अनार खट्टा भी होता है और मीठा भी| खट्टे अनार के छिलके का अर्क चूसने से खांसी चली जाती है जबकि मीठे अनार को खाने से खून बढ़ता है| इसका छिलका दस्त, ऐंठन, संग्रहणी, कांच निकलना, बवासीर आदि रोगों को दूर करता है|
“Sakuni said,–O thou foremost of victorious persons, I will snatch (forthee) this prosperity of Yudhishthira, the son of Pandu, at the sight ofwhich thou grievest so.
1 [स]
युयुत्सुं तव पुत्रं तु पराद्रवन्तं महद बलम
उलूकॊ ऽभयपतत तूर्णं तिष्ठ तिष्ठेति चाब्रवीत
“Dhritarashtra said, ‘When the two armies, duly arrayed, thus mingledwith each other for battle, O Sanjaya, how did Partha assail thesamsaptakas, and how Karna assail the Pandavas?
दो मित्र थे, एक का नाम था अशोक और दूसरे का नाम पुनीत| एक दिन अशोक ने पुनीत को अपने घर खाना खाने बुलाया| उसने तरह-तरह की बढिया चीजें बनवाईं| पूड़ी-कचौड़ी, खीर आदि-आदि| जब दोनों खाना खा चुके तो अशोक ने पूछा – “पुनीत, खाना कैसा लगा?”
1 [मनु]
जञानं जञेयाभिनिर्वृत्तं विद्धि जञानगुणं मनः
परज्ञा करण संयुक्तं ततॊ बुद्धिः परवर्तते