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गंगा नदी के तट पर भगवान का एक परम भक्त नित्य पूजा-पाठ व ध्यान करता था। वह प्रात:काल आता, स्नान करता और आसन लगाकर बैठ जाता। भगवान की भक्ति में जो रमता तो घंटों बिता देता। उसकी यह विशेषता थी कि पूजा या ध्यान के समय कैसी भी विघ्न-बाधाएं आतीं, किंतु वह अपने आसन से टस से मस नहीं होता।

बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था| एक हिरण रोज़ राजा के बाग में घास चरने आता था| कुछ दिनों में हिरण राजू को देखने का अभ्यस्त हो गया और उसने भागना छोड़ दिया| बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था| 

खजूर को भी शीतकालीन फल ही माना गया है| यह गहरे लाल रंग का गूदेदार होता है| इसके अंदर से गिरी निकलती है| यह अत्यंत तृप्तिदायक, शीतल, मीठा और भारी होता है| इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए पित्त के अनेक रोगों में यह लाभदायक सिद्ध होता हैं| यह शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक होता है तथा हृदय के लिए परम हितकारी है|

एक साधारण ब्राह्मण थे| वे काशी पढ़कर आये| सिर पर पुस्तकें लदी हुई थीं| शहर से होकर निकले तो वर्षा आ गयी| पास में छाता था नहीं| अतः एक मकान के दरवाजे के पास जगह देखकर खड़े हो गये| उसके ऊपर एक वैश्या रहती थी| कुछ आदमी ‘रामनाम सत्य है’ कहते हुए एक मुर्दे को लेकर वहाँ से निकले|