Chapter 80
“Vasishtha said, ‘Kine are yielders of ghee and milk. They are thesources of ghee and they have sprung from ghee. They are rivers of ghee,and eddies of ghee.
“Vasishtha said, ‘Kine are yielders of ghee and milk. They are thesources of ghee and they have sprung from ghee. They are rivers of ghee,and eddies of ghee.
“Bhishma said, ‘After the night had passed away, I awoke, O Bharata, andthinking of my dream I was filled with great joy. Then, O Bharata, thecombat began between him and me–a combat that was fierce and unrivalledand that made the hairs of all creatures stand on their ends.
“Sanjaya said, ‘After the ruler of the Sindhus had been slain by Partha,Krishna, repairing unto the king, viz., Yudhishthira, the son of Dharma,worshipped the latter with a gladdened heart.
“Vasudeva said, O lord of earth, if I had been present at Dwaraka, then,O king, this evil would not have befallen thee!
कपूर उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है। यह सफेद रंग का मोम की तरह का पदार्थ है। कपूर का इस्तेमाल खास तौर से हवन पूजन और कई ब्यूटी उत्पादों में खुशबू के साथ ही ठंडाई के लिए किया जाता है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं।
एक जंगल था| जंगल का राजा शेर एक दिन पेड़ की छाया में सो रहा था| एक छोटा चूहा अपने बिल से दौड़ कर आया और शेर की नाक पर उछल-कूद करने लगा| इससे शेर जाग गया|
एक बार हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत आखेट खेलने वन में गये। जिस वन में वे शिकार के लिये गये थे उसी वन में कण्व ऋषि का आश्रम था। कण्व ऋषि के दर्शन करने के लिये महाराज दुष्यंत उनके आश्रम पहुँच गये। पुकार लगाने पर एक अति लावण्यमयी कन्या ने आश्रम से निकल कर कहा, “हे राजन्! महर्षि तो तीर्थ यात्रा पर गये हैं, किन्तु आपका इस आश्रम में स्वागत है।”