अध्याय 268
1 [य]
भरातरः पितरा पुत्रा जञातयः सुहृदस तथा
अर्थहेतॊर हताः करूरैर अस्माभिः पापबुद्धिभिः
1 [अर्जुन]
बरह्म यत परमं वेद्यं तन मे वयाख्यातुम अर्हसि
भवतॊ हि परसादेन सूक्ष्मे मे रमते मतिः
“Bhishma said, ‘The next day, O bull of Bharata’s race, frightful againwas the combat that wok place between me and Rama when I encountered himonce more.
“Sanjaya said, ‘Hearing the twang, resembling the loud call of Deathhimself or the frightful peal of Indra’s thunder, of Dhananjaya’s bow,while he stretched it, that host of thine,
“Vasudeva continued, ‘O king of kings, Salwa, the lord of Saubha, cametowards our city with an immense force consisting of infantry, cavalryand elephants!
एक गाँव में बिरजू नामक किसान रहता था बिरजू के चार बेटे थे| बिरजू बहुत मेहनती और दूरदर्शी स्वभाव का था जबकि उसके बेटे निकम्मे कामचोर और आलसी स्वभाव के थे|
“जब महाराज सगर को बहुत दिनों तक अपने पुत्रों की सूचना नहीं मिली तो उन्होंने अपने तेजस्वी पौत्र अंशुमान को अपने पुत्रों तथा घोड़े का पता लगाने के लिये आदेश दिया। वीर अंशुमान शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित होकर उसी मार्ग से पाताल की ओर चल पड़ा जिसे उसके चाचाओं ने बनाया था।
“Sanjaya said, ‘During the progress of that terrible and awful battle,the army of thy son was broken by the Pandavas. Rallying their greatcar-warriors, however, with vigorous efforts, thy sons continued to fightwith the Pandava army.