पाँच पितृभक्त पुत्र
पुत्र के लिये माता-पिता की भक्ति ही एकमात्र धर्म है| इसके अतिरिक्त पुत्र के लिये और कोई धर्म नहीं है| एक वर्ष, एक मास, एक पक्ष, एक सप्ताह अथवा एक दिन जो भी पुत्र माता-पिता की भक्ति करता है, वह वैकुण्ठलोक की प्राप्त करता है|
पुत्र के लिये माता-पिता की भक्ति ही एकमात्र धर्म है| इसके अतिरिक्त पुत्र के लिये और कोई धर्म नहीं है| एक वर्ष, एक मास, एक पक्ष, एक सप्ताह अथवा एक दिन जो भी पुत्र माता-पिता की भक्ति करता है, वह वैकुण्ठलोक की प्राप्त करता है|
“Sanjaya said, ‘Hearing these words of the righteous king who had beenfilled with anger, that high-souled atiratha, Jishnu of infinite energy,replied unto the invincible Yudhishthira of great might, saying, “Whilebattling with the samsaptakas today,
एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही|
1 बृहदश्व उवाच
परशान्ते तु पुरे हृष्टे संप्रवृत्ते महॊत्सवे
महत्या सेनया राजा दमयन्तीम उपानयत
“Yudhishthira said,–‘O grandsire, O thou of great wisdom, O thou thatart conversant with all branches of knowledge, I desire to hear theediscourse on topics connected with duty and Righteousness.
“Bhishma said, ‘The fowler, seeing the pigeon fall into the fire, becamefilled with compassion and once more said, ‘Alas, cruel and senselessthat I am, what have I done!