Chapter 133
“Bhishma said, ‘The king should, by drawing wealth from his own kingdomas also from the kingdoms of his foes, fill his treasury. From thetreasury springs his religious merit,
“Bhishma said, ‘The king should, by drawing wealth from his own kingdomas also from the kingdoms of his foes, fill his treasury. From thetreasury springs his religious merit,
अहमद शाह अब्दाली से महादजी सिंधिया का युद्ध चल रहा था। दोनों ओर के सैनिक वीरतापूर्वक लड़ रहे थे। लड़ते-लड़ते एक अवसर ऐसा आया कि सिंधिया बुरी तरह से घायल हो गए। उनके शरीर के प्रत्येक अंग से रक्त बह रहा था और वे लगभग अचेत अवस्था में आ गए। ऐसी स्थिति में राणो नामक भिश्ती उन्हें अपने बैल पर लादकर युद्ध मैदान से दूर एक जंगल में ले गया।
1 शरीभगवान उवाच
इदं शरीरं कौन्तेय कषेत्रम इत्य अभिधीयते
एतद यॊ वेत्ति तं पराहुः कषेत्रज्ञ इति तद्विदः
“Dhritarashtra said, ‘When the Suta’s son had such a dart as was sure toslay one person, why did he not hurt it at Partha, to the exclusion ofall others?
“Vaisampayana said, ‘Then all the relatives of Kichaka, arriving at thatplace, beheld him there and began to wail aloud, surrounding him on allsides.
श्री भागवत पूरण के दशम स्कंद के उत्तरार्ध के ५८ मे अध्याय के १७ से २३ श्लोक तक यमुना जी ने जहा श्री कृष्ण प्राप्ति को तप किया वह जगह यमुना किनारे पर स्धित है जो कभी भी प्रकाशित और प्रचारित नही हुई वो जहाँ श्री यमुना जी ने तप किया वह जगह वर्तमान मे यमुना किनारे मथुरा विश्राम घाट से कुछ दूरी पर स्तिथ हैं| जो श्री यमुना तपोभूमि के नाम से स्थापित है| इसकी आरती इस प्रकार है|
Vaisampayana said,–‘then that foremost of all speakers, Krishna of theYadava race, addressing king Jarasandha who was resolved upon fighting,said,–‘O king, with whom amongst us three dost thou desire to fight? Whoamongst us shall prepare himself for battle (with thee)?’
दो हिस्सों में बँटा हुआ एक जंगल था| दोनों भागों में दो सुनहरे हिरण रहते थे| एक का नाम था- वट हिरण और दूसरे का- शाखा हिरण| दोनों का अपना-अपना दल था|
चार साधु थे| वे शहर के पास एक जंगल में रहते थे और भगवान् का भजन-स्मरण करते थे| उन चारों साधुओं की अपनी अलग-अलग एक निष्ठा थी|