Chapter 21
“Vasudeva said,–‘behold, O Partha, the great capital of Magadha,standing in all its beauty.
“Vasudeva said,–‘behold, O Partha, the great capital of Magadha,standing in all its beauty.
एक राजा था| वह एक सन्त के पास जाया करता और उनका सत्संग किया करता था| उस राजा ने अपने लिये एक महल बनाया|
एक बुद्धिमान जौहरी था| अपने काम में वह बड़ा तेज था| दैवयोग से युवावस्था में ही वह मर गया| पीछे उसकी स्त्री तथा गोद में एक बालक रह गया| लोगों ने उनके पैसे दबा लिये| धन नष्ट हो गया| उस स्त्री के पास एक हीरा था, जो उसको जौहरी ने दिया था| वह हीरा बहुत कीमती था|
“Sanjaya said, ‘Fighting fiercely, prince Duhshasana achieved the mostdifficult feats in that encounter.
एक तालाब में दो मगरमच्छ रहते थे| एक मेंढक से उनकी दोस्ती हो गई| इस प्रकार वे तीनों तालाब में रहने लगे ओर अपना दुख-सुख कहकर मन बहलाते रहते| मेंढ़क को यह पता नहीं था कि इन दोनों मगरमच्छों में से एक मन्दबुद्धि और दूसरा अहंकारी है|
1 बृहदश्व उवाच
सा तच छरुत्वानवद्याङ्गी सार्थवाहवचस तदा
अगच्छत तेन वै सार्धं भर्तृदर्शनलालसा
“Yudhishthira said, ‘Thou art fully conversant with the ordinances of allthe scriptures. Thou art the foremost of those that are acquainted withthe duties of kings. Thou art celebrated over the whole world as a greatdispeller of doubts.
1 [षुक्र]
यद इदं वेद वचनं कुरु कर्म तयजेति च
कां दिशं विद्यया यान्ति कां च गच्छन्ति कर्मणा