बेवक्त के गीत
एक बेचारा गधा भूखा प्यासा इधर-उधर घूमा करता था| एक दिन उसकी मित्रता एक गीदड़ के साथ हो गई| गीदड़ के साथ रहकर वह गधा खूब मौज मस्ती मारता| इस प्रकार वह दिन रात मोटा होने लगा|
एक बेचारा गधा भूखा प्यासा इधर-उधर घूमा करता था| एक दिन उसकी मित्रता एक गीदड़ के साथ हो गई| गीदड़ के साथ रहकर वह गधा खूब मौज मस्ती मारता| इस प्रकार वह दिन रात मोटा होने लगा|
“Yudhishthira said, ‘Through inducements offered by wealth, or throughmere lust, or through ignorance of the true order of birth (of both malesand females), or through folly, intermixture happens of the several orderWhat, O grandsire, are the duties of persons that are born in the mixedclasses and what are the acts laid down for them? Do thou discourse to meon this!’
1 [षुक्र]
कषरात परभृति यः सर्गः सगुणानीन्द्रियाणि च
बुद्ध्यैश्वर्याभिसर्गार्थं यद धयानं चात्मनः शुभम
“Yudhishthira said, ‘What, besides this, should be done by a king that isweak and procrastinating, that does not engage in battle from anxiety forthe lives of his friends, that is always under the influence of fear, andthat cannot keep his counsels secret?
एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !
1 अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यम अध्यात्मसंज्ञितम
यत तवयॊक्तं वचस तेन मॊहॊ ऽयं विगतॊ मम
“Sanjaya said, ‘Beholding Hidimva’s son slain and lying like a rivenmountain, all the Pandavas became filled with grief and began to shedcopious tears.
1 [स]
अथ तव इदानीं तुमुले विमर्दे; दविषद्भिर एकॊ बहुभिः समावृतः
महाभये सारथिम इत्य उवाच; भीमश चमूं वारयन धार्तराष्ट्रीम
तवं सारथे याहि जवेन वाहैर; नयाम्य एतान धार्तराष्ट्रान यमाय
“Bhima said, ‘Fie on the might of my arms and fie on the Gandiva ofFalguni, inasmuch as thy hands, red before, now become covered withcorns.