अध्याय 97
1 [ल]
इल्वलस तान विदित्वा तु महर्षिसहितान नृपान
उपस्थितान सहामात्यॊ विषयान्ते ऽभयपूजयत
जठराग्नि के मन्द पड़ जाने को अग्निमांद्य कहते हैं| इस रोग में आमाशय (मेदा) तथा आंतों के पचाने की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण खाया-पिया भोजन पिण्ड की तरह पेट में रखा रहता है|
“Yudhishthira said, ‘O son of the River Ganga, thou hast heard all thenames of Maheshwara, the Lord of the universe. Do thou tell us, Ograndsire, all the names that are applied, O puissant one, unto Him whois called Isa and Sambhu.
बसंतपुर में बढ़इयों का एक मुहल्ला था| बढ़ई रोज नावों से नदी पार करके जंगल में जाते और अपने काम के लिए लकड़ी काटकर लाते थे| उसी गाँव में दो मित्र मोहन और रामू रहा करते थे| गाँव से जंगल और जंगल से गाँव आना-जाना उनका नियम था| काम की कमी न थी|
नुस्खा – पीपल 5 ग्राम, निशोथ 25 ग्राम और कच्ची खांड़ 50 ग्राम – इन सबको पीसकर चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख लें|
“Bhishma said, ‘For enabling such pious and impoverished Brahmanas ashave been robbed of their wealth (by thieves), as are engaged in theperformance of sacrifices, as are well conversant with all the
काली जी का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था| कलि माता जी को माता जगदम्बे, अदि शक्ति का रूप माना जाता है और इनकी आराधना से सभी दुःख दूर हो जाते है| काली माता जी को बल और शक्ति की देवी माना जाता है|
Vaisampayana said,–“Possessing a knowledge of the past, the present andthe future, and seeing all things as if present before his eyes, thelearned son of Gavalgana,