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यह फल कफ को बढ़ाता है, साथ ही यह शरीर में पित्त की अधिकता या ऊष्मा को कम करने में भी सहायक होता है| सुपाच्य है और रुग्णावस्था में पथ्य के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है| इसे इसके नरम छिलके के साथ ही प्रयोग किया जाता है, छीलकर भी खाया जाता है| इसका स्वाद बहुत ही मिठास से भरा होता है| यह अत्यन्त शक्तिवर्धक एवं मांस और चर्बीवर्धक है|

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर जब अंडमान जेल में थे, तब उनके पास न कलम थी और न कागज। उनके सृजनशील मानस में कई विचार उठते किंतु उन्हें लिपिबद्ध कैसे करें? एक दिन ऐसे ही वे एकांत कोठरी में बैठे सोच में डूबे थे कि उन्हें इस समस्या का समाधान सूझ गया।

मृतात्मा की सद्गति हेतु पिण्डदानादि श्रद्धा कर्म अत्यन्त आवश्यक हैं| पुन्नामक नरक से पिता को बचाने के कारण ही आत्मज पुत्र कहा जाता है| पुत्र का मुख देखकर पिता पैतृक ऋण से छूट जाता है और पौत्र के स्पर्शमात्र से यमलोक आदि का उल्लंघन कर जाता है|

साईराम अपनी कृपा से
साईराम अपनी कृपा से मुझे भक्ति दे .
साईराम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे ..