Home2011August (Page 54)

संत तुकोजी महाराज अपने प्रिय शिष्यों के साथ भजन-कीर्तन में मग्न रहा करते थे। सभी के प्रति सद्भावना और शुभ चिंतन ही उनका धर्म था। एक बार उनके प्रति आस्था रखने वाले एक व्यक्ति ने अपनी दुकान का नाम गुरुदेव सैलून रख दिया। संतजी के एक अन्य शिष्य रामचंद्र ने जब यह सुना तो वह क्रोधित हो उठा। संतजी के सामने ही वह बड़बड़ाते हुए बोला- यह तो आपका अपमान है।

“Sauti said, ‘The Nagas after consultation arrived at the conclusion thatthey should do their mother’s bidding, for if she failed in obtaining herdesire she might withdraw her affection and burn them all. If, on theother hand, she were graciously inclined, she might free them from hercurse. They said, ‘We will certainly render the horse’s tail black.’ Andit is said that they then went and became hairs in the horse’s tail.

जिन दिनों पांडव, कौरव राजकुमारों के साथ हस्तिनापुर में रहते थे, दुर्योधन को उनका वहां रहना तनिक न सुहाता था| पांडवों को देखकर उसका रोम-रोम जल उठता परंतु वह कुछ कर नहीं पाता|