सम्राट अकबर ने श्रीपति को ढेरों पुरस्कार दिए
अकबर के दरबार में श्रीपति नाम का कवि था। दूसरे दरबारी अकबर की प्रशंसा करते थे, जबकि वह श्रीराम का ही गुणगान करता था। फिर भी अकबर उसे पुरस्कार देते थे। इससे दरबारी उससे जलने लगे थे।
अकबर के दरबार में श्रीपति नाम का कवि था। दूसरे दरबारी अकबर की प्रशंसा करते थे, जबकि वह श्रीराम का ही गुणगान करता था। फिर भी अकबर उसे पुरस्कार देते थे। इससे दरबारी उससे जलने लगे थे।
“Vaisampayana said, ‘The people who lived in the Kuru kingdom failed tonotice any variance in the cordiality that subsisted between kingYudhishthira and the father of Duryodhana.
“Sauti said, ‘Then the Daityas and the Danauas equipped with first-classarmours and various weapons attacked the gods. In the meantime thevaliant Lord Vishnu in the form of an enchantress accompanied by Naradeceived the mighty Danavas and took away the Amrita from their hands.
पांडवों ने अब पांचाल का रास्ता पकड़ा| वहां के राजा द्रुपद (जिन्हें अर्जुन, द्रोण के सामने बंदी बनाकर लाये थे) की कन्या, राजकुमारी द्रौपदी का स्वयंवर होने वाला था|
‘मृत्यु क्या कर सकती है? मैंने मृत्युंजय शिव की शरण ली है|’ श्वेत मुनि ने पर्वत की निर्जन कंदरा में आत्मविश्वास का प्रकाश फैलाया| चारों ओर सात्विक पवित्रता का ही राज्य था, आश्रम में निराली शांति थी| मुनि की तपस्या से वातावरण की दिव्यता बढ़ गई|
सञ्जयका जन्म सूत जातिमें हुआ था| ये बड़े ही बुद्धिमान, नीतिज्ञ, स्वामिभक्त तथा धर्मज्ञ थे| इसीलिये धृतराष्ट्र इनपर अत्यन्त विश्वास करते थे| ये धृतराष्ट्रके मन्त्री भी थे और उनको सदैव हितकर सलाह दिया करते थे|
Vaishampayana said, “Hearing this intelligence, O monarch, Dhritarashtrathe son of Ambika, feeling the acme of grief, regarded Suyodhana to bealready dead. Exceedingly agitated, the king fell down on the Earth likean elephant deprived of its senses.