Chapter 196
“Yudhishthira said, ‘Thou hast discoursed on the four modes of life andtheir duties. Thou hast also spoken of the duties of kings.
“Yudhishthira said, ‘Thou hast discoursed on the four modes of life andtheir duties. Thou hast also spoken of the duties of kings.
केला बहुत पौष्टिक फल है, लेकिन इसे खाली पेट नहीं खाना चाहिए| क्योंकि यह मल को बांध देता है और कब्ज की शिकायत हो जाती है| इसलिए केला सदैव भोजन के बाद कम से कम तीन की संख्या में खाना चाहिए|
Dhritarashtra said, ‘When the divisions of both my side and the foe werethus arrayed, who struck first, the Kurus or the Pandavas?’
“Karna said, ‘As thou, O lord of splendour, knowest me for thyworshipper, so also thou knowest that there is nothing which I cannotgive away in charity,
माता विन्ध्येश्वरी रूप भी माता का एक भक्त वत्सल रूप है और कहा जाता है कि यदि कोई भी भक्त थोड़ी सी भी श्रद्धा से माँ कि आराधना करता है तो माँ उसे भुक्ति – मुक्ति सहज ही प्रदान कर देती हैं । विन्ध्येश्वरी चालीसा का संग्रह किया गया है।
बच्चे उसे मंदबुद्धि कहकर चिढ़ाते थे। एक दिन वह कुएं के पास बैठा था, तभी उसकी नजर पत्थर पर पड़े निशान की ओर गई। उसने सोचा – जब कठोर पत्थर पर निशान बन सकते हैं तो मुझे भी विद्या आ सकती है।
कहिबे कहं रसना रची सुनिबे कहं किये कान|
धरिबे कहं चित हित सहित परमारथहि सुजान||
Vaishampayana said: “Then Shakra, causing the firmament and the Earth tobe filled by a loud sound, came to the son of Pritha on a car and askedhim to ascend it.
“Sauti said, ‘the god of fire enraged at the curse of Bhrigu, thusaddressed the Rishi, ‘What meaneth this rashness, O Brahmana, that thouhast displayed towards me? What transgression can be imputed to me whowas labouring to do justice and speak the truth impartially?