HomePosts Tagged "चालीसा संग्रह"

भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के आठवें अवतार हैं। मान्यता है कि भक्ति-भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करने से सफलता, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी को मक्खन बहुत पसंद होता है। साथ ही कृष्ण जी की पूजा में उनकी चालीसा को भी बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

माता विन्ध्येश्वरी रूप भी माता का एक भक्त वत्सल रूप है और कहा जाता है कि यदि कोई भी भक्त थोड़ी सी भी श्रद्धा से माँ कि आराधना करता है तो माँ उसे भुक्ति – मुक्ति सहज ही प्रदान कर देती हैं । विन्ध्येश्वरी चालीसा का संग्रह किया गया है।

शनि चालीसा का पाठ सबसे सरल है। शनि चालीसा भी हनुमान चालीसा जैसे ही अति प्रभावशाली है। शनि देव की पूजा अर्चना करने से जातक के जीवन की कठिनाइयां दूर होती है। शिव पुराण में वर्णित है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने शनिदेव को “शनि चालीसा” से प्रसन्न किया था। शनि साढ़ेसाती और शनि महादशा के दौरान ज्योतिषी शनि चालीसा का पाठ करने की सलाह देते हैं।

श्री राम चालीसा, भगवान श्रीराम के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। भगवान श्री राम को विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है। विष्णु जी का अवतार होने के कारण भगवान श्री राम को बेहद पूजनीय माना जाता है। आइये पढ़ें श्री राम जी की चालीसा।

शीतला माता एक प्रसिद्ध हिन्दू देवी हैं। इनका प्राचीनकाल से ही बहुत अधिक माहात्म्य रहा है। ये हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। इन्हें चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है। आइये पढ़ें शीतला माता की चालीसा।

वीरभद्र चालीसा’कृष्णशंकर सोनाने व्दारा रचित है। चालीसा में संकट मोचन वीरभद्र चतुष्पद,वीरभद्र बाण शामिल किया गया है।

भगवती गायत्री आद्यशक्ति प्रकृति के पाँच स्वरूपों में एक हैं| भगवान व्यास कहते हैं कि गायत्री मन्त्र समस्त वेदों का सार है| गायत्री चालीसा के नित्य पाठ से मनुष्य सभी रोग-दोष तथा आवागमन के बंधन से मुक्त होता है एवं धन-धान्य से परिपूर्ण होता है साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं|

देवी लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती है। लक्ष्मी जी की पूजा में कई मंत्रों का प्रयोग होता है। माता की आराधना में चालीसा का भी विशेष महत्व है।

हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। सरस्वती जी को वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती जी को श्वेत वर्ण अत्यधिक प्रिय होता है। श्वेत वर्ण सादगी का परिचायक होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी ने सर्वप्रथम सरस्वती जी की आराधना की थी। सरस्वती जी की पूजा साधना में निम्न चालीसा का विशेष महत्त्व है।