Home2011July (Page 6)

सात वर्ष बीत गए| एक दिन राजा शांतनु नदी के तट पर घुमने निकले| उन्होंने देखा एक सुन्दर बालक छोटे से धनुष से नदी में तीर चला रहा है| शांतनु सोचने लगे, “यह बालक जल से इस भांति खेल रहा है जैसे छोटे बच्चे अपनी माता के साथ खेलते हैं|” वे बालक को स्नेह से देख रहे थे, तभी गंगा उनके सामने प्रकट हुईं|

प्राचीन काल की बात है, राजा भरत शालग्राम क्षेत्र में रहकर भगवान् वासुदेव की पूजा आदि करते हुए तपस्या कर रहे थे| उनकी एक मृग के प्रति आसक्ति हो गई थी, इसलिए अंतकाल में उसी का स्मरण करते हुए प्राण त्यागने के कारण उन्हें मृग होना पड़ा| मृगयोनि में भी वे ‘जातिस्मर’ हुए- उन्हें पूर्वजन्म की बातों का स्मरण रहा|