Home2011July (Page 4)

अंबिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य से हो गया और वे हस्तिनापुर में रहने लगीं| अंबिका के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम था धृतराष्ट्र| और अम्बालिका के पुत्र का नाम रखा गया पांडु| दासी-उतर विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु के भाई थे| वे अपने चातुर्य, ज्ञान और सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध हुए|

भगवान् सूर्य उत्पत्ति के समय एक प्रकाशमय विशाल गोलाकार वृत के रुप में थे, उनका एक नाम मार्तण्ड है| देवशिल्पी विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संज्ञा का विवाह उनके साथ कर दिया था|

श्रीहनुमान् जी विद्या, बुद्धि, ज्ञान तथा पराक्रमीकी मूर्ति हैं| जबतक पृथ्वीपर श्रीरामकथा रहेगी, तबतक श्रीहनुमान् जीको इस धरा-धामपर रहनेका श्रीरामसे वरदान प्राप्त है| आज भी ये समय-समयपर श्रीरामभक्तोंको दर्शन देकर उन्हें कृतार्थ किया करते हैं

किसी कस्बे में दो आदमी रहते थे| एक का नाम था प्रेम दूसरे का नाम विनय| दोनों के घर आमने-सामने थे| एक दिन संयोग से किसी बात पर उनमें तनातनी हो गई| बात छोटी-सी थी, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ गई| दोनों ही बेहद उत्तेजित हो उठे| प्रेम आपे से बाहर हो गया| वह बोला – “शैतान के बच्चे, तेरी अकल घास चरने चली गई है|”