देवव्रत
सात वर्ष बीत गए| एक दिन राजा शांतनु नदी के तट पर घुमने निकले| उन्होंने देखा एक सुन्दर बालक छोटे से धनुष से नदी में तीर चला रहा है| शांतनु सोचने लगे, “यह बालक जल से इस भांति खेल रहा है जैसे छोटे बच्चे अपनी माता के साथ खेलते हैं|” वे बालक को स्नेह से देख रहे थे, तभी गंगा उनके सामने प्रकट हुईं|