अध्याय 79
1 [व]
जरां पराप्य ययातिस तु सवपुरं पराप्य चैव ह
पुत्रं जयेष्ठं वरिष्ठं च यदुम इत्य अब्रवीद वचः
1 [व]
जरां पराप्य ययातिस तु सवपुरं पराप्य चैव ह
पुत्रं जयेष्ठं वरिष्ठं च यदुम इत्य अब्रवीद वचः
बादशाह अकबर ने दरबार में प्रस्ताव रखा कि दो माह को एक माह में बदल दिया जाए| दरबारियों से इस पर राय मांगी गई तो सभी ने बादशाह की चापलूसी करते हुए इस प्रस्ताव का समर्थन किया किंतु बीरबल खामोश था|
Sanjaya said, “Then the mighty Dhananjaya, struck with those shafts anddrawing long breaths like a trodden snake, cut off, with great force, bymeans of his successive shafts, the bows of those mighty car-warriors.
“Vyasa said, ‘Blessed be thou, O Gandhari, thou shalt behold thy sons andbrothers and friends and kinsmen along with thy sires this night like menrisen from sleep.
“Sauti said, ‘Then Vasuki spake unto the Rishi Jaratkaru these words, ‘Obest of Brahmanas, this maiden is of the same name with thee. She is mysister and hath ascetic merit. I will maintain thy wife; accept her. Othou of ascetic wealth, I shall protect her with all my ability. And, Oforemost of the great Munis, she hath been reared by me for thee.’ Andthe Rishi replied, ‘This is agreed between us that I shall not maintainher; and she shall not do aught that I do not like. If she do, I leaveher!’
एक व्यक्ति चाहकर भी अपने दुर्गुणों पर काबू नहीं कर पा रहा था. एक बार उसके गाँव में संत फरीद आये.
कृष्ण और राधा जी का प्रेम कोए साधारण प्रेम नहीं , अपितु एक अनोखा प्रेम माना गया है| यह प्रेम रहस्य कोई प्रभु का भगत ही समझ सकता है| इतना अटूट प्यार और दुलार शायद ही इतिहास मे देखने को मिले| जितने भी गुरु पीर पैगम्बर हुए, उनमे श्री कृष्ण जी को १६ गुण संपन्न मन गया है| इस के अलावा, इनकी रास लीला भी अपरम्पार है| राधा जी का नाम ,क्रिशन जी के नाम से पहले अत है, जो की अटूट प्यार की निशानी है|
“The messenger of the gods said, ‘O great sage, thou art of simpleunderstanding; since, having secured that celestial bliss which bringethgreat honour, thou art still deliberating like an unwise person.