Homeशिक्षाप्रद कथाएँउपकार (बादशाह अकबर और बीरबल)

उपकार (बादशाह अकबर और बीरबल)

बादशाह अकबर ने दरबार में प्रस्ताव रखा कि दो माह को एक माह में बदल दिया जाए| दरबारियों से इस पर राय मांगी गई तो सभी ने बादशाह की चापलूसी करते हुए इस प्रस्ताव का समर्थन किया किंतु बीरबल खामोश था|

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“बीरबल, तुम चुप क्यों हो? बोलते क्यों नहीं…तुम्हारा क्या विचार है?” बादशाह ने बीरबल से पूछा|

“हुजूर, आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं| आप तो इस दुनिया पर बहुत बड़ा उपकार करने जा रहे हैं क्योंकि दो माह को एक माह कर देने से चांद की चांदनी भी हमें पंद्रह दिन के बजाय एक माह तक मिलेगी|”

बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर सकपका गए| वे समझ गए कि प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती|