Chapter 19
“Vaisampayana said. ‘Following the advice of Vidura, the king took up hisabode on the banks of the Bhagirathi which were sacred and deserved to bepeopled with the righteous.
“Vaisampayana said. ‘Following the advice of Vidura, the king took up hisabode on the banks of the Bhagirathi which were sacred and deserved to bepeopled with the righteous.
“Saunaka said, ‘O son of Suta, thou hast told us the reason why thesnakes were cursed by their mother, and why Vinata also was cursed by herson. Thou hast also told us about the bestowal of boons, by theirhusband, on Kadru and Vinata. Thou hast likewise told us the names ofVinata’s sons. But thou hast not yet recited to us the names of thesnakes. We are anxious to hear the names of the principal ones.’
पहले मैं दमशिक नगर में हकीमी किया करता था| अपनी चिकित्सा के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी| एक दिन वहाँ के हकीम ने मुझसे कहा, “फलां मकान में एक रोगी है, वह वहाँ आ नही सकता| उसको वही जाकर देखो|”
“Sanjaya said, ‘After Drona had promised the kings seizure under thoselimitations, thy troops hearing of (that promise about) Yudhishthira’scapture, uttered many leonine shouts, mingling them with the whiz oftheir arrows and the blare of their conchs.
1 [स]
परायॊपविष्टे तु हते पुत्रे सात्यकिना ततः
सॊमदत्तॊ भृशं करुद्धः सात्यक्तिं वाक्यम अब्रवीत
सायं ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं सन्ध्यादीप नमोऽस्तु ते ।।
एक डाकू था| वह जंगल में छिपा रहता था और उधर से जो भी निकलता था, उसको लूटकर अपनी गुजर-बसर करता था| एक दिन नारद उधर से निकले| डाकू उन पर हमला करने को आया| नारद ने उसे देखकर अपनी वीणा पर गाना आरंभ कर दिया| डाकू चकित होकर आगे बढ़ा|
मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम…………..
जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम………२
1 [य]
यद इदं घॊरम उद्दिष्टम अश्रद्धेयम इवानृतम
अस्ति सविद दस्यु मर्यादा याम अहं परिवर्जये