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बादशाह अकबर अपने दरबारियों और कुछ अंगरक्षकों के साथ नौका-विहार कर रहे थे| बीरबल भी उनके साथ था| नाव जब बीच नदी में पहुंची तो अकबर ने एक तिनका दिखाकर कहा – “कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा, आज देखते हैं यह तिनका किसका सहारा बनता है| जो भी इस नदी को तिनके के सहारे पार कर लेगा मैं उसे दिल्ली का बादशाह बना दूंगा|”

एक बार महर्षि आपस्तम्बने जल में ही डूबे रहकर भगवद् भजन करने का विचार किया| वे बारह वर्षों तक नर्मदा और मत्स्या संगम के जल में डूबकर भगवत्स्मरण करते रह गए|

महर्षि याज्ञवल्क्य का शास्त्र ज्ञान और ब्रह्मज्ञान अपूर्व है| यज्ञवल्क के वंशज होने के कारण इनका नाम याज्ञवल्क्य पड़ा| इनके पिता का नाम ब्रह्मा था|