Chapter 17
“Kunti said, ‘It is even so, O mighty-armed son of Pandu, as thou sayest.Ye kings, formerly when ye were cheerless, it was even in this way that Iexcited you all.
“Kunti said, ‘It is even so, O mighty-armed son of Pandu, as thou sayest.Ye kings, formerly when ye were cheerless, it was even in this way that Iexcited you all.
बादशाह अकबर अपने दरबारियों और कुछ अंगरक्षकों के साथ नौका-विहार कर रहे थे| बीरबल भी उनके साथ था| नाव जब बीच नदी में पहुंची तो अकबर ने एक तिनका दिखाकर कहा – “कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा, आज देखते हैं यह तिनका किसका सहारा बनता है| जो भी इस नदी को तिनके के सहारे पार कर लेगा मैं उसे दिल्ली का बादशाह बना दूंगा|”
“Santi said, ‘And that bird, assuming a golden body bright as the rays ofthe Sun, entered with great force (the region where the Soma was), like atorrent entering the ocean. And he saw, placed near the Soma, a wheel ofsteel keen-edged, and sharp as the razor, revolving incessantly.
एक बार महर्षि आपस्तम्बने जल में ही डूबे रहकर भगवद् भजन करने का विचार किया| वे बारह वर्षों तक नर्मदा और मत्स्या संगम के जल में डूबकर भगवत्स्मरण करते रह गए|
महर्षि याज्ञवल्क्य का शास्त्र ज्ञान और ब्रह्मज्ञान अपूर्व है| यज्ञवल्क के वंशज होने के कारण इनका नाम याज्ञवल्क्य पड़ा| इनके पिता का नाम ब्रह्मा था|
“Dhritarashtra said, ‘Hear, O Sanjaya, the celestial feats of Vasudeva,feats that Govinda achieved and the like of which no other person hathever been able to achieve.
1 [स]
उदीर्यमाणं तद दृष्ट्वा पाण्डवानां महद बलम
अविषह्यं च मन्वानः कर्णं दुर्यॊधनॊ ऽबरवीत
भगवान् बुद्ध की धर्म-सभा में एक व्यक्ति रोज जाया करता था और उनके प्रवचन सुना करता था|