Chapter 71
“Vaisampayana said, ‘The monarch then, as he proceeded, left even hisreduced retinue at the entrance of the hermitage. And entering quitealone he saw not the Rishi (Kanwa) of rigid vows.
“Vaisampayana said, ‘The monarch then, as he proceeded, left even hisreduced retinue at the entrance of the hermitage. And entering quitealone he saw not the Rishi (Kanwa) of rigid vows.
Vaisampayana said, “Hearing those words of Dhritarashtra, Sakuni, whenthe opportunity presented itself, aided by Kama, spoke unto Duryodhanathese words,
साबरमती आश्रम के लिए जगह की तलाश में गांधीजी एक दिन वर्धा से पांच किलोमीटर ऊंची पहाड़ी पर गए। वहां एक झुग्गी बस्ती थी। गांधीजी को पता चला कि यह एक हरिजन बस्ती है। उन्होंने कहा, ‘साबरमती आश्रम के लिए यह उपयुक्त जगह है।’ जमनालाल बजाज उनके साथ थे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यहां बहुत गंदगी है।’ गांधी जी बोले, ‘यहां देश की आत्मा बसती है, इसलिए हरिजन बस्ती के फायदे के लिए यहां आश्रम बनाना ठीक रहेगा।’
यह वायु को बढ़ाने के कारण शरीर में रूक्षता पैदा करती हैं, पचने में हल्की होती है| इसके सेवन से मल बंधकर आता है, तथा पित्त-दोषों में भी लाभकारी है| रक्त-विकार में भी उपयोगी है|
वृद्ध और अंधे महर्षि च्यवन ने अपनी युवा पत्नी सुकन्या से कहा, “तुम युवा हो और एक लम्बा जीवन तुम्हारे सामने है| तुम किसी युवक से विवाह कर लो|”
प्राचीन काल में गंगातट पर बसे एक गांव बहुसुवर्ण में गोविंद दत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था| वह प्रकांड विद्वान और शास्त्रों का ज्ञाता था| उसकी पत्नी अग्निदत्ता परम पतिव्रता स्त्री थी|