Homeशिक्षाप्रद कथाएँमहर्षि च्यवन युवा बने

महर्षि च्यवन युवा बने

महर्षि च्यवन युवा बने

वृद्ध और अंधे महर्षि च्यवन ने अपनी युवा पत्नी सुकन्या से कहा, “तुम युवा हो और एक लम्बा जीवन तुम्हारे सामने है| तुम किसी युवक से विवाह कर लो|”

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“सौ बार से अधिक आपने यह बात मुझसे कही है| सबके समक्ष धर्मानुसार आपसे मेरा विवाह-संस्कार हुआ है| आपकी सेवा करना मेरा धर्म और व्रत दोनों है|” सुकन्या ने उत्तर दिया|

वे नहीं जानते थे कि देवताओं के वैद्य दोनों अश्विनीकुमार उनकी बाते सुन रहे थे| वे उनके सामने आये और वरदान देते हुए बोले, “भद्रे, हम महर्षि को युवा बनायेंगे|”

वे बूढ़े महर्षि को एक पवित्र नदी तक ले गये तथा महर्षि पर आयुर्वेदिक दवाओं की मालिश करते और नदी में स्नान कराते| सन्ध्या पूर्व जब वे तीनों नदी से बाहर आये तब एक-से अनेक युवा थे| सुकन्या महर्षि को पहचान न पायी| उसने प्रार्थना की| देव वैद्य अश्विनीकुमार अलग हट गये और सुकन्या को आशीष दिया| सुकन्या के साथ महर्षि च्यवन लम्बे काल तक जीवित रहे और च्यवनप्राश सहित अनेक दवाईयों का आविष्कार किया|

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