Chapter 100
Sanjaya said, “Then Bhishma, the son of Santanu, went out with thetroops. And he disposed his own troops in mighty array calledSarvatobhadra.
Sanjaya said, “Then Bhishma, the son of Santanu, went out with thetroops. And he disposed his own troops in mighty array calledSarvatobhadra.
“Vaisampayana said, ‘Bowing down in the first place to my preceptor withthe eight parts of my body touching the ground, with devotion andreverence, and with all my heart, worshipping the whole assembly ofBrahmanas and other learned persons, I shall recite in full what I haveheard from the high-souled and great Rishi Vyasa, the first ofintelligent men in the three worlds.
एक धनी किसान था। उसे विरासत में खूब संपत्ति मिली थी। ज्यादा धन-संपदा ने उसे आलसी बना दिया। वह सारा दिन खाली बैठा हुक्का गुड़गुड़ाता रहता था।
Janamejaya said, “After his defeat and capture by the foe and hissubsequent liberation by the illustrious sons of Pandu by force of arms,it seemeth to me that the entry into
1 [मार्क]
भूय एव तु माहात्म्यं बराह्मणानां निबॊध मे
वैन्यॊ नामेह राजर्षिर अश्वमेधाय दीक्षितः
तम अत्रिर गन्तुम आरेभे वित्तार्थम इति नः शरुतम
ताम्रलिप्ति नगर में धनदत्त नामक एक धनवान वैश्य रहता था| अत्यंत धनी होने पर भी वह संतानहीन था| पुत्र प्राप्त करने के लिए उसने अनेक उपाय किए| अंत में अनेक विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर उसने इस विषय में कुछ करने के लिए उनसे आग्रह किया| ब्राह्मणों ने कहा कि ऐसा करना कोई कठिन कार्य नहीं है| इसके बाद वे एक कथा सुनाने लगे –
अपने प्रिय नौकर को स्टेशन पर देखकर मालिक प्रसन्न हो गया| नौकर उन्हें लेने आया था|