सूअर का पीछा और जीवन-दान
उपवन की दशा देखकर राजा हरिश्चंद्र को क्रोध आ गया| उन्होंने सूअर को ललकारा तो सूअर छोड़कर भाग खड़ा हुआ|
उपवन की दशा देखकर राजा हरिश्चंद्र को क्रोध आ गया| उन्होंने सूअर को ललकारा तो सूअर छोड़कर भाग खड़ा हुआ|
पुराने जमाने की बात है। एक शहर में दो व्यापारी आए। इनमें से एक घी का कारोबार करता था, तो दूसरा चमड़े का व्यापार करता था। संयोग से दोनों एक ही मकान में पहुंचे और शरण मांगी। मकान मालिक ने रात होने पर घी वाले व्यापारी को भीतर सुलाया और चमड़े वाले को बाहर बरामदे में।
1 [य]
चातुर्वर्ण्यस्य धर्मात्मन धर्मः परॊक्तस तवयानघ
तथैव मे शराद्धविधिं कृत्स्नं परब्रूहि पार्थिव
एक बार एक भेड़िया कुछ भेड़ों को खाना चाहता था, जिनकी रखवाली एक सतर्क गड़ेरिया करता था| भेड़िये ने योजना बनायी| वह उस मैदान के निकट थोड़ी दूर पर जाकर बैठने लगा| गड़ेरिये ने देखा, किन्तु भेड़िया दूर था|
1 [मार्क]
बृहस्पतेश चान्द्रमसी भार्याभूद या यशस्विनी
अग्नीन साजनयत पुण्याञ शडेकां चापि पुत्रिकाम
1 And it came to pass at the end of two full years, that Pharaoh dreamed: and, behold, he stood by the river.
“Yudhishthira said, ‘Of what behaviour must a man be, of what acts, ofwhat kind of knowledge, and to what must he be devoted, for attaining toBrahma’s place which transcends Prakriti and which is unchangeable?’