Home2011May (Page 71)

सूर्यास्त होने में अभी थोड़ा समय बाकि था| राजा हरिश्चंद्र अपने आपको बेचने के लिए नगर में निकल पड़े| परन्तु उन्हें किसी ने नहीं ख़रीदा| तब वे श्मशान घाट पर जा पहुचें| वंहा धर्म ने चाण्डाल का रूप बनाया और राजा के सामने आकार बोला, “अरे! तुम कौन हो और यंहा क्यों आए हो?”

महाराष्ट्र में समर्थ गुरु रामदास बाबा एक बहुत विचित्र संत हुए हैं| इस्म्के समंध में एक कथा प्रसिद्ध है| ये हनुमानजी के भक्त थे और इनको हनुमानजी के दर्शन हुआ करते थे| एक बार बाबा जी ने हनुमान जी से कहा कि ‘महाराज! आप एक दिन सब  लोगों को दर्शन दें|’ हनुमान जी से कहा कि ‘तुम लोगों को इकट्ठा करो तो मैं दर्शन दूंगा|’ बाबा जी बोले कि ‘लोगों को तो मैं हरिकथा से इकट्ठा कर लूँगा|’