Home2011May (Page 14)

कुछ पल बाद राजा ने ब्राम्हण की ओर देखा और कहा, “विप्रवर! आपकी जो भी अभिलाषा हो निस्संकोच मुझसे मांग लें| मैं अपने वचन से पीछे नहीं हटूंगा|”

एक बार संत राबिया एक धार्मिक पुस्तक पढ़ रही थीं। पुस्तक में एक जगह लिखा था, शैतान से घृणा करो, प्रेम नहीं। राबिया ने वह लाइन काट दी। कुछ दिन बाद उससे मिलने एक संत आए। वह उस पुस्तक को पढ़ने लगे। उन्होंने कटा हुआ वाक्य देख कर सोचा कि किसी नासमझ ने उसे काटा होगा। उसे धर्म का ज्ञान नहीं होगा। उन्होंने राबिया को वह पंक्ति दिखा कर कहा, जिसने यह पंक्ति काटी है वह जरूर नास्तिक होगा।

स्वामी दयानंद के जीवन की एक सत्य-कथा है| स्वामी जी के उपदेशों की चर्चा सुनकर एक प्रतिष्ठित मुसलमान भी उनके पास गया, परंतु उसका मुख हमेशा उदास रहता था| एक दिन स्वामी जी ने कारण पूछा| उसने उत्तर दिया कि मेरे कई बच्चे हुए हैं, परंतु जीता कोई नहीं, इसलिए मन सदा उदास रहता है|