अध्याय 46
1 [युधिस्ठिर]
किम इदं परमाश्चर्यं धयायस्य अमितविक्रम
कच चिल लॊकत्रयस्यास्य सवस्ति लॊकपरायण
1 [युधिस्ठिर]
किम इदं परमाश्चर्यं धयायस्य अमितविक्रम
कच चिल लॊकत्रयस्यास्य सवस्ति लॊकपरायण
एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद दे रहा था| अचानक व्यापारी के हाथ से छूटकर शहद का बर्तन गिर पड़ा| बहुत-सा शहद भूमि पर ढुलक गया| जितना शहद व्यापारी उठा सकता था, उतना उसने ऊपर-ऊपर से उठा लिया; लेकिन कुछ शहद भूमि में गिरा रह गया|
“Vaisampayana said, ‘Then, O king, the mighty son of Bharadyaja presentedhimself before Drupada, and addressing that monarch, said, ‘Know me forthy friend.’
“Vaisampayana said, ‘Thus conversing with Sanat-sujata and the learnedVidura, the king passed that night. And after the night had passed away,all the princes and chiefs, entered the court-hall with joyous hearts anddesirous of seeing that Suta (who had returned).
शनि व्रत रखने का बहुत महत्व माना गया है| कुंडली में शनि की महादशा अथवा साढ़े साती या ढैय्या में शनि जी के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शनि व्रत का महत्व माना गया है| शनि जी के इस मंत्र – ‘ऊँ शं शनिश्चराय नम:” को कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए| शनि व्रत में शनि देव की आरती के साथ साथ दान भी जरूरी है| उड़द, तेल, तिल, नीलम रत्न, काली गाय, भैंस, काला कम्बल या कपड़ा, लोहा या इससे बनी वस्तुएं और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
Janamejaya said, “When that prime among heroes, having been accomplishedin arms, had returned from the abode of the slayer of Vritra, what didPritha’s sons do in company with the warlike Dhananjaya?”
“Vaisampayana said, ‘After this, Krishna ordered Daruka, saying–Let mycar be yoked.–Within a very short space of time Daruka informed (hismaster), saying,–It has been yoked.–The son of Pandu then commanded allhis attendants, saying,–Prepare yourselves and be ready.