अध्याय 151
1 [व]
वासुदेवस्य तद वाक्यम अनुस्मृत्य युधिष्ठिरः
पुनः पप्रच्छ वार्ष्णेयं कथं मन्दॊ ऽबरवीद इदम
1 [व]
वासुदेवस्य तद वाक्यम अनुस्मृत्य युधिष्ठिरः
पुनः पप्रच्छ वार्ष्णेयं कथं मन्दॊ ऽबरवीद इदम
“Sanat-sujata said, ‘Sorrow, anger, covetousness, lust, ignorance,laziness, malice, self-importance, continuous desire of gain, affection,jealousy and evil speech,–these twelve, O monarch, are grave faults thatare destructive of men’s lives.
भगवान श्रीराम जब समुद्र पार कर लंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बांधने में सलंग्न हुए, तब उन्होंने समस्त वानरों को संकेत दिया कि, ‘वानरो ! तुम पर्वतों से पर्वत खण्ड लाओ जिससे पुल का कार्य पूर्ण हो जाए|’ आज्ञा पाकर वानर दल भिन्न-भिन्न पर्वतों पर खण्ड लाने के लिए दौड़ पड़े और अनेक पर्वतों से बड़े-बड़े विशाल पर्वत खण्डों को लाने लगे| नल और नील जो इस दल में शिल्पकार थे, उन्होंने कार्य प्रारंभ कर दिया|
Janamejaya said, “How was it, O sage! that Bhima, of mighty prowess andpossessing the strength of ten thousand elephants, was stricken withpanic at (the sight of) that snake?
एक बार की बात है| बादशाह अकबर कहीं जंगल में शिकार के लिए गये| साथ में बहुत आदमी थे, पर दैवयोग से जंगल में अकेले भटक गये| आगे गये तो एक खेत दिखायी दिया| उस खेत में पहुँचे और उस खेत के मालिक से कहा-‘भैया! मुझे भूख और प्यास बड़ी जोर से लगी है|
चमेली का फूल झाड़ी या बेल जाति से संबंधित है, इसकी लगभग 200 प्रजाति पाई जती हैं। इसके फूलों से तेल और इत्र का निर्माण भी किया जाता है। चमेली के पत्ते हरे और फूल सफेद रंग के होते हैं, परंतु कहीं-कहीं पीले रंग के फूलों वाली चमेली की बेलें भी पाई जाती हैं।
“Brahmana said, ‘Well then, I shall declare to you what you ask. Learnwhat was told by a preceptor to a disciple that came unto him.
1 [स]
एवम उक्त्वार्जुनं राजा तरिभिर मर्मातिगैः शरैः
परत्यविध्यन महावेगैश चतुर्भिश अतुरॊ हयान