श्री वीरभद्र चालीसा – Shri Veerbhadr Chalisa
वीरभद्र चालीसा’कृष्णशंकर सोनाने व्दारा रचित है। चालीसा में संकट मोचन वीरभद्र चतुष्पद,वीरभद्र बाण शामिल किया गया है।
वीरभद्र चालीसा’कृष्णशंकर सोनाने व्दारा रचित है। चालीसा में संकट मोचन वीरभद्र चतुष्पद,वीरभद्र बाण शामिल किया गया है।
“Brahmana said, ‘Among men, the royal Kshatriya is (endued with) themiddle quality. Among vehicles, the elephant (is so); and among denizensof the forest the lion; among all (sacrificial) animals, the sheep;
1 [भ]
ततः स राजा रात्र्यन्ते परतिबुद्धॊ महामनाः
कृतपूर्वाह्णिकः परायात सभार्यस तद वनं परति
1 [जनम]
दुर्यॊधनं मॊचयित्वा पाण्डुपुत्रा महाबलाः
किम अकार्षुर वने तस्मिंस तन ममाख्यातुम अर्हसि
महर्षि विश्वामित्र महाराज गाधिके पुत्र थे| कुश्वंशमें पैदा होनेके कारण इन्हें कौशिक भी कहते हैं| ये बड़े ही प्रजापालक तथा धर्मात्मा राजा थे| एक बार ये सेनाको साथ लेकर जंगलमें शिकार खेलनेके लिये गये| वहाँपर वे महर्षि वसिष्ठके आश्रमपर पहुँचे|महर्षि वसिष्ठने इनसे इनकी तथा राज्यकी कुशल-श्रेम पूछी और सेनासहित आतिथ्य-सत्कार स्वीकार करनेकी प्रार्थना की|
1 And God remembered Noah, and all the beasts, and all the cattle that were with him in the ark: and God made a wind to pass over the earth, and the waters assuaged;
“Yudhishthira said, ‘It behoveth thee, O grandsire, to discourse to me onthat which is freed from duty and its reverse, which is freed from everydoubt, which transcends birth and death, as also virtue and sin, which isauspiciousness, which is eternal fearlessness, which is Eternal andIndestructible, and Immutable, which is always Pure, and which is everfree from the toil of exertion.’