Home2011March (Page 9)

1 भीष्म उवाच
सा निष्क्रमन्ती नगराच चिन्तयाम आस भारत
पृथिव्यां नास्ति युवतिर विषमस्थतरा मया
बान्धवैर विप्रहीनास्मि शाल्वेन च निराकृता

दुर्योधन के कपट-द्यूत में सर्वस्त्र हारकर पांडव द्रौपदी के साथ काम्यक वन में निवास कर रहे थे, परंतु दुर्योधन के चित्त को शांति नहीं थी| पांडवों को कैसे सर्वथा नष्ट कर दिया जाए, वह सदा इसी चिंता में रहता था|

आलुओं को सभी सब्जियों में अग्रणी माना जाता है| यदि किसी भी पकवान में आलू न हो तो सब कुछ फीका-फीका ही प्रतीत होता है| आलू का प्रयोग बारहों महीने और तीसों दिन किया जाता है| सब्जी के रूप में, चाट-पकौड़ी के रूप में या फिर चिप्स और पापड़ के रूप में; सभी में आलू प्रयुक्त होता है| विश्व भर में इसका प्रयोग किया जाता है, किन्तु यह वायु को बढ़ाने वाला है| इससे मांस व चर्बी की वृद्धि होती है|

फारस देश का बादशाह नौशेरवाँ अपनी न्यायप्रियता के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गया था| वह बहुत दानी भी था| एक दिन वह अपने मन्त्रियों के साथ घुमने निकला| उसने देखा कि एक बगीचे में एक बहुत बूढ़ा माली अखरोट के पेड़ लगा रहा है| बादशाह उस बगीचे में गया| उसने माली से पूछा-‘तुम यहाँ नौकर हो या यह तुम्हारा ही बगीचा है?’

1 [स] ततॊ ऽरजुनस्य भवनं परविश्याप्रतिमं विभुः
सपृष्ट्वाम्भः पुण्डरीकाक्षः सथण्डिले शुभलक्षणे
संतस्तार शुभां शय्यां दर्भैर वैडूर्य संनिभैः