डरपोक कौन? (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने बीरबल को डराने के उद्देश्य से डरावना रूप धारण किया और उसके सामने पहुंच गए|
बादशाह अकबर को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने बीरबल को डराने के उद्देश्य से डरावना रूप धारण किया और उसके सामने पहुंच गए|
1 [वासुदेव]
ततः स परयतॊ भूत्वा मम तात युधिष्ठिर
पराञ्जलिः पराह विप्रर्षिर नाम संहारम आदितः
1 And Jehovah said unto Moses, Go in unto Pharaoh: for I have hardened his heart, and the heart of his servants, that I may show these my signs in the midst of them,
Saunaka said, “O Sauti, excellent is this narrative which thou hastrecited. Verily, these ascetics, having heard it have all been filledwith wonder.
1 भीष्म उवाच
ततॊ ऽहं निशि राजेन्द्र परणम्य शिरसा तदा
बरह्मणानां पितॄणां च देवतानां च सर्वशः
“Kunti said, Grieve not at all, O Brahmana, on account of this danger. Isee a way by which to rescue thee from that Rakshasa. Thou hast only oneson, who, besides, is of very tender years, also only one daughter, youngand helpless, so I do not like that any of these, or thy wife, or eventhyself should go unto the Rakshasa. I have five sons, O Brahmana, letone of them go, carrying in thy behalf tribute of that Rakshasa.’
कर्ण कुंती का पुत्र था| पाण्डु के साथ कुंती का विवाह होने से पहले ही इसका जन्म हो चुका था| लोक-लज्जा के कारण उसने यह भेद किसी को नहीं बताया और चुपचाप एक पिटारी में रखकर उस शिशु को अश्व नाम की नदी में फेंक दिया था| इसके जन्म की कथा बड़ी विचित्र है|