अध्याय 20
1 तथास्तु साधयिष्यामि तत्र यास्याम्य असंशयम
यत्र तवं वदसे साधॊ भवान भवतु सत्यवाक
1 [मार्क]
अथ कन्याप्रदाने स तम एवार्थं विचिन्तयन
समानिन्ये च तत सर्वं भाण्डं वैवाहिकं नृपः
1 [वैषम्पायन]
तस्मिन वाक्यान्तरे वक्ता देवस्थानॊ महातपाः
अभिनीततरं वाक्यम इत्य उवाच युधिष्ठिरम
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा,
आना पड़ेगा .
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ..
Saunaka said, How is that illustrious god, viz., the puissant Narayanawho is fully conversant with the Vedas and their branches, at once thedoer and the enjoyer of sacrifices?
भक्तों की दुनिया बड़ी निराली है| प्रभु भक्ति करने वालों की गिनती नहीं हो सकती| इस जगत में अनेकों महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने प्रभु के नाम के सहारे जीवन व्यतीत किया तथा वह इस जगत में अमर हुए, जबकि अन्य लोग जो मायाधारी थे, मारे गए तथा उनका कुछ न बना|
1 [वै]
ततस ते पाण्डवाः सर्वे पाञ्चाल्यश च महायशाः
परत्युत्थाय महात्मानं कृष्णं दृष्ट्वाभ्यपूजयन
1 [दरुपद]
अश्रुत्वैवं वचनं ते महर्षे; मया पूर्वं यातितं कार्यम एतत
न वै शक्यं विहितस्यापयातुं; तद एवेदम उपपन्नं विधानम