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शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए मखानों का प्रयोग विशेष रूप-से किया जाता है| यह अत्यंत बलवर्धक और स्वादिष्ट होते हैं| ये मधुर, कटु, वातपित्त एवं दाहनाशक हैं| यह वीर्य-स्तंभक और धातुवर्धक हैं| अत: शुक्र के दौर्बल्य को दूर करने के लिए हितकारी हैं| स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी है|

छान्दोग्य की कहानी है| ऋषि आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करके जब लौटा, तब उसके पिता को अनुभूति हुई कि पुत्र में कुछ अहंकार पैदा हो गया है| पुत्र ने बताया उसने सब विधाएँ पढ़ ली है|

यूं तो भगवान हनुमान जी को अनेक नामों से पुकारा जाता है, जिसमें से उनका एक नाम वायु पुत्र भी है। जिसका शास्त्रों में सबसे ज्यादा उल्लेख मिलता है। शास्त्रों में इन्हें वातात्मज कहा गया है अर्थात् वायु से उत्पन्न होने वाला।

एक समय की बात है| दिल्ली विश्वविय के भूतपूर्व कुलपति एवं भूतपूर्व संसद सदस्य डॉ० स्वरुप सिंह अपनी मित्र-मण्डली में बैठे थे|

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित पुत्रिका के रूप में मनाते हैं| इस व्रत को करने से पुत्र शोक नहीं होता| इस व्रत का स्त्री समाज में बहुत ही महत्व है| इस व्रत में सूर्य नारायण की पूजा की जाती है|

एक राजा के भवन का शयनकक्ष अत्यंत सुंदर था| राजा के प्रतिदिन के इस्तेमाल में आनेवाले वस्त्रों में एक जूं रहती थी| वह राजा का रक्त चूसकर आनंद से जीवन व्यतीत कर रही थी|