अध्याय 22
1 [व]
भीमसेनस ततः कृष्णम उवाच यदुनन्दनम
बुद्धिम आस्थाय विपुलां जरासंध जिघांसया
1 [मन्दपाल]
युष्माकं परिरक्षार्थं विज्ञप्तॊ जवलनॊ मया
अग्निना च तथेत्य एवं पूर्वम एव परतिश्रुतम
1 [जनमेजय]
शरुतं भगवतस तस्य माहात्म्यं परमात्मनः
जन्म धर्मगृहे चैव नरनारायणात्मकम
महावराह सृष्टा च पिण्डॊत्पत्तिः पुरातनी
दुर्गा माता जी को आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है| हिंदू धर्म में माता दुर्गा जी को सर्वोपरि माना गया है| ऐसा माना जाता है कि दुर्गा जी भौतिक संसार में सभी सुखों की दात्री हैं| उनकी भक्ति करने तथा आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं| माता दुर्गा की आरती का अत्यंत विशेष महत्व है|
“Narada said, ‘That best of monarchs, king Haryyaswa, after reflectingfor a long while and breathing a long and hot sigh about the birth of ason, at last said,
“Sanjaya said, ‘Both Vasudeva and Dhananjaya, afflicted with sorrow andgrief and frequently sighing like two snakes, got no sleep that night