त्यागमूर्ति महाराज उशीनर – महाभारत
महाराज उशीनर त्याग और शरणागतवत्सलताके अनुपम आदर्श थे| उनके राज्यमें प्रजा अत्यन्त सुखी तथा धन-धान्यसे सम्पन्न थी| सभी लोग धर्माचरणमें रत थे|
महाराज उशीनर त्याग और शरणागतवत्सलताके अनुपम आदर्श थे| उनके राज्यमें प्रजा अत्यन्त सुखी तथा धन-धान्यसे सम्पन्न थी| सभी लोग धर्माचरणमें रत थे|
1 [धृ]
किं कुर्वाणं रणे दरॊणं जघ्नुः पाण्डव सृञ्जयाः
तथा निपुणम अस्त्रेषु सर्वशस्त्रभृताम अपि
बच्चे के जन्म के समय असावधानी बरतने तथा संक्रमण के कारण उनकी नाभि पाक जाती है| ऐसी स्थिति में बच्चा बार-बार रोता रहता है|
बीरबल को कहीं से एक गधा मिल गया| वह उसे बादशाह अकबर के पास लाया और बोला – “हुजूर, यह गधा काफी बुद्धिमान नजर आ रहा है| यदि इसे पढ़ना सिखाया जाए तो यह पढ़ाकू गधा बन सकता है|”
वर्धमान नगर में आभूषणों का एक व्यापारी दंतिल सेठ रहता था| वहाँ का राजा उसके व्यवहार से काफ़ी प्रसन्न था| जिस रानी को कभी कोई आभूषण बनवाना होता था तो दंतिल सेठ को ही बुलाया जाता| उसे रनिवास में आने-जाने की खुली छूट थी|
1 All the commandment which I command thee this day shall ye observe to do, that ye may live, and multiply, and go in and possess the land which Jehovah sware unto your fathers.
1 [धृ]
वयवहाराश च ते तात नित्यम आप्तैर अधिष्ठिताः
यॊज्यास तुष्टैर हितै राजन नित्यं चारैर अनुष्ठिताः
यह हमारे दैनिक आहार के प्रयोग में आने वाला सबसे पहला और अत्यंत आवश्यक धान्य है| इसमें शरीर का शोधन करने और उसे स्वस्थ रखने की अद्भुत शक्ति है| गेहूं के छोटे-छोटे पौधों में एक प्रकार का रस होता है, जो असाध्य और कैंसर जैसे भयंकर रोगों को भी दूर कर सकता है| भगंदर, बवासीर, मधुमेह, गठियावाय, पीलिया, ज्वर, दमा और खांसी जैसे रोग भी इस रस से दूर किए जा सकते हैं|