अध्याय 49
1 [स]
तत आहूय पुत्रं सवं जरत्कारुर भुजंगमा
वासुकेर नागराजस्य वचनाद इदम अब्रवीत
“Narada said, ‘Gaya, the son of Amartarayas, O Srinjaya, we hear, fell aprey to death, That king, for a hundred years, ate nothing but whatremained of the libations of clarified butter poured into the sacrificialfire.
“Vaisampayana said, ‘Then those illustrious sons of Pritha, on returningto the potter’s abode, approached their mother. And those first of menrepresented Yajnaseni unto their mother as the alms they had obtainedthat day.
Vaisampayana said, “The heroic sons of Pandu, accompanied by theirfollowers, proceeding from place to place, at last arrived at Naimisha.
भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।
“Yudhishthira said, ‘O grandsire, O thou of great wisdom, O thou that artconversant with all branches of knowledge, what is that subject of silentrecitation by reciting which every day one may acquire the merit ofrighteousness in a large measure?
बादशाह अकबर को बर्तनों के एक व्यापारी की बहुत अधिक शिकायतें मिल रही थीं| उन्होंने बीरबल को बुलाया और उसे मामले को सुलझाने को कहा| बीरबल ने अपनी तरफ से छानबीन की तो पाया कि वाकई व्यापारी ठगी कर रहा था| बीरबल ने उसे सबक सिखाने की ठान ली|
एक धोबी के पास एक कुता और एक गधा था| धोबी सुबह-सुबह गधे पर कपड़े लादता और कुते को साथ लेकर घाट पर पहुँच जाता| जब धोबी कपड़े धोकर घाट पर सुखा कर चला जाता, तब कुता उनकी रखवाली करता|