Home2011January (Page 48)

“Vaisampayana said, ‘Hearing those words of her sons Jarita continued,’The little mouse that had come out of this hole was seized by a hawkwith his claws and carried away hence. Therefore, ye may fearlessly enterthis hole now.’ The young ones replied, ‘We are not by any means certainof that mouse having been taken away by the hawk.

सूर्यवंशमें महाराज मान्धाता नामके एक परम प्रतापी राजा हुए थे| महराज मुचुकुन्द उन्हींके पुत्र थे| ये सम्पूर्ण पृथ्वीके एकच्छ्त्र सम्राट् थे| बल और पराक्रममें इनकी बराबरी करनेवाला उस समय संसारमें कोई नहीं था| देवता भी इनकी सहायता प्राप्त करनेके लिये लालायित रहा करते थे|

बालागनपत दर्जी शिरडी में रहते थे| वह बाबा के परम भक्त थे| एक बार उन्हें जीर्ण ज्वर हो गया| बुखार की वजह से वह सूखकर कांटा हो गये| बहुत इलाज कराये, पर ज्वर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ| आखिर में थक-हारकर साईं बाबा की शरण में पहुंचे| वहां पहुंचकर बाबा से पूछा – “बाबा ! मेरा ऐसा कौन-सा पाप कर्म है जो सब तरह की कोशिश करने के बाद भी बुखार मेरा पीछा नहीं छोड़ता?”

1 [अर्ज] यत्रैषा काञ्चनी वेदी परदीप्ताग्निशिखॊपमा
उच्छ्रिता काञ्चने दण्डे पताकाभिर अलं कृता
तत्र मां वह भद्रं ते दरॊणानीकाय मारिष

दुर्योधन के अंत के साथ ही महाभारत के महायुद्ध का भी अंत हो गया। माता गाँधारी दुर्योधन के शव के पास खडी फफक-फफक कर रो रही हैं। पुत्र वियोग में “गाँधारी का भगवान कृष्ण को श्राप देना, भगवान कृष्ण का श्राप को स्वीकार करना और गाँधारी का पश्चताप करना”। इसका बडा ही मार्मिक वर्णन किया है धर्मवीर भारती जी ने (गीता-कविता से संकलित)

अकबर और बीरबल शाम के समय घोड़े पर बैठे नगर की सैर कर रहे थे| तभी बादशाह अकबर को मजाक सूझा और उन्होंने बीरबल से कहा – “भई अस्य पिदर सुमास्त|”