Chapter 121
“Bhishma said, ‘Thus addressed by Vyasa, Maitreya, who was a worshipperof acts, who had been born in a race endued with great prosperity, whowas wise and possessed of great learning said unto him these words’.
“Bhishma said, ‘Thus addressed by Vyasa, Maitreya, who was a worshipperof acts, who had been born in a race endued with great prosperity, whowas wise and possessed of great learning said unto him these words’.
1 [वै]
स शत्रुसेनां तरसा परणुद्य; गास ता विजित्याथ धनुर्धराग्र्यः
दुर्यॊधनायाभिमुखं परयातॊ; भूयॊ ऽरजुनः परियम आजौ चिकीर्षन
महर्षि भृगु ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनकी पत्नी का नाम ख्याति था जो दक्ष की पुत्री थी। महर्षि भृगु सप्तर्षिमंडल के एक ऋषि हैं। सावन और भाद्रपद में वे भगवान सूर्य के रथ पर सवार रहते हैं।
बादशाह अकबर अक्सर दरबार में ठिठोली हेतु कोई-न-कोई सवाल पूछ लिया करते थे| एक बार उन्होंने पूछा कि कौन-सा शस्त्र सर्वश्रेष्ठ होता है?
1 [स]
परभातायां तु शर्वर्यां परातर उत्थाय वै नृपः
राज्ञः समाज्ञापयत सेनां यॊजयतेति ह
अद्य भीष्मॊ रणे करुद्धॊ निहनिष्यति सॊमकान
हमको मनकी शक्ति देना, मन विजय करें.
दूसरों की जय से पहले, खुदकी जय करें.
हमको मनकी शक्ति देना..
Janamejaya said, “For what reason did that tiger among kings,Yudhishthira the just, despatch that scorcher of foes, Vasudeva, untoGandhari?